Monday, September 14, 2009

दर्द-ए-दिल

हथेली पर लिखने को उनका नाम, अपनी तक़दीर मिटाए जा रहे हैं.
वो हर कदम पर खुश रहे, इसलिए अपनी मुस्कान लुटाए जा रहे हैं!!

खता थी मेरी रुसवा जो वो हुए.....
हम अपने ही अश्कों से सारे निशान मिटाए जा रहे हैं,
भूल गये खुद का नाम
ना जाने किन-किन गलियों में भटकाए जा रहे हैं

बहुत सिखाया दिल को उन्हे याद ना करे, उनकी आने की फरियाद ना करे
हर पल इसे बस यही समझाए जा रहे हैं,
उनसे बातें छोड़ देते, उनकी तस्वीर तोड़ देते,पर अब तो वो सासों में बसे हैं
उन्हे भूलने के लिए बस अब तो अपने सांसो को थमाए जा रहे हैं.

अब भी सासों में उनका अधूरा चेहरा बाकी है
अब भी उनकी भोली अदाए नज़र आती हैं
यकीन नही होता पर, उनकी निगाहें आज भी हमे बहकाय जा रही हैं
इंतज़ार आज भी करते हैं,वो आएँगी एक दिन, बस यही कह बची सांसो को बहलाए जा रहे हैं

हमे तो यकीन हो चला है, वो भी समझ जाएँगे
ये गीत उन्ही के लिए तो गुन गुनाए जा रहे हैं
उनके लिए हर पल मुस्काराए जा रहे हैं
यही बात उन्हे समझाए जा रहे है.


Dedicated to one of my friend, who send me this!!!

I found it bit touchi…so post it.

Rgds,
Raj Chauhan
http://rajenderblog.blogspot.com