Wednesday, February 10, 2016

कोई दीवाना कहता है,कोई पागल समझता है (On the Birthday of Dr. Kumar Vishwas)



कोई दीवाना कहता है,कोई पागल समझता है,
मगर धरती कि  बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझ से दूर कैसे हूँ, तू मुझसे दूर कैसे है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है.

मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों मैं आसूं है
जो तू समझे  तो मोती है ना समझे तो पानी है

समन्दर पीर का अन्दर है लेकिन तो नहीं सकता
ये आंसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले,
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता 

हमारे दिल मैं कोई ख़्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का,
मैं किस्से को हकीकत मैं बदल बैठा तो हंगामा