वक़्त-ए-सफ़र करीब है, बिस्तर समेट लू,
बिखरा हुआ हयात का मंज़र समेट लू,
फिर ना जाने हम मिले ना मिले, ज़रा रूको
मैं दिल के आईने मे ये मंज़र समेट लू,
गैरो ने जो सुलूक किया उनका क्या गिला,
फेके है दोस्तो ने जो पत्थर समेट लू,
कल जाने कैसे होंगे कहाँ होंगे घर के लोग,
आँखों मे एक बार भरा घर समेट लू,
भड़क रही है ज़माने मे जितनी आग,
जी चाहता है सीने के अंदर समेट लू!!!
Wednesday, November 17, 2010
Thursday, November 4, 2010
Happy Diwali to All
कुछ नन्हे दीपक लड़ते है, अमावस के गहन अन्धेरे मैं,
कुछ किरणने लोहा लेती है, तन के एक अन्हद घेरे से,
काले अम्बरमे होती है आशाओ की आतिशबाज़ी,
उत्सव मे परिणीत होती है हर सन्नाटे की लफ़ाज़ी
उजियारे के मस्तक पर जब सिंदूरी लाली होती है,
उस घड़ी ज़माना कहता है, बस यही दीवाली होती है.
घर की लक्ष्मी एक थाली मे, उजियारा लेकर चलती है,
हर कोने, दहेरी,चोख्त को एक दीपक देकर चलती है,
दीवारे नये वसान धारे, तोरण पर बंधनवर सजे,
आँगन मे रंगोली उभरे और सरस डाल से द्वार सजे,
कची पाली के ज़िम्मे, आँखो की रखवाली होती है,
उस घड़ी ज़माना कहता है बस यही दीवाली होती है.......
आप को और आप के परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाए
Regards,
Rajender Chauhan
http://rajenderblog.blogspot.com
कुछ किरणने लोहा लेती है, तन के एक अन्हद घेरे से,
काले अम्बरमे होती है आशाओ की आतिशबाज़ी,
उत्सव मे परिणीत होती है हर सन्नाटे की लफ़ाज़ी
उजियारे के मस्तक पर जब सिंदूरी लाली होती है,
उस घड़ी ज़माना कहता है, बस यही दीवाली होती है.
घर की लक्ष्मी एक थाली मे, उजियारा लेकर चलती है,
हर कोने, दहेरी,चोख्त को एक दीपक देकर चलती है,
दीवारे नये वसान धारे, तोरण पर बंधनवर सजे,
आँगन मे रंगोली उभरे और सरस डाल से द्वार सजे,
कची पाली के ज़िम्मे, आँखो की रखवाली होती है,
उस घड़ी ज़माना कहता है बस यही दीवाली होती है.......
आप को और आप के परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाए
Regards,
Rajender Chauhan
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