Thursday, December 1, 2011

शायद ज़िंदगी बदल रही है!!

शायद ज़िंदगी बदल रही है!!

जब मैं छोटा था, शायद दुनिया

बहुत बड़ी हुआ करती थी..
मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक
का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था वहां,
चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,
अब वहां "मोबाइल शॉप", "विडियो पार्लर" हैं,
फिर भी सब सूना है..
शायद अब दुनिया सिमट रही है...
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जब मैं छोटा था,
शायद शामें बहुत लम्बी हुआ करती थीं...
मैं हाथ में पतंग की डोर पकड़े,
घंटों उड़ा करता था, वो लम्बी "साइकिल रेस",
वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है.
शायद वक्त सिमट रहा है..
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जब मैं छोटा था,
शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
दिन भर वो हुजूम बनाकर खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना,
वो साथ रोना...
अब भी मेरे कई दोस्त हैं,पर दोस्ती जाने कहाँ है,
जब भी "traffic signal" पे मिलते हैं, "Hi" हो जाती है,
और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,
होली, दीवाली, जन्मदिन, नए साल पर बस SMS आ जाते हैं,
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं..
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जब मैं छोटा था,
तब खेल भी अजीब हुआ करते थे,
छुपन छुपाई, लंगडी टांग,पोषम पा, कट केक, टिप्पी टीपी टाप.
अब internet, office, से फुर्सत ही नहीं मिलती..
शायद ज़िन्दगी बदल रही है.

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जिंदगी का सबसे बड़ा सच यही है..
जो अक्सर कबरिस्तान के बाहर बोर्ड पर लिखा होता है...
"मंजिल तो यही थी, बस जिंदगी गुज़र गयी मेरी यहाँ आते आते"

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.ज़िंदगी का लम्हा बहुत छोटा सा है...
कल की कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल सिर्फ सपने में ही है..
अब बच गए इस पल में..तमन्नाओं से भरी इस जिंदगी में
हम सिर्फ भाग रहे हैं.. कुछ रफ़्तार धीमी करो, मेरे दोस्त,
और इस ज़िंदगी को जियो...खूब जियो मेरे दोस्त,


Monday, November 21, 2011

तुम आते तब क्या होता!!!!

मधुर प्रतीक्षा ही जब इतनी, प्रिय तुम आते तब क्या होता?
मौन रात इस भांति कि जैसे, कोई गत वीणा पर बज कर,
अभी-अभी सोई खोई-सी, सपनों में तारों पर सिर धर
और दिशाओं से प्रतिध्वनियाँ, जाग्रत सुधियों-सी आती हैं,
कान तुम्हारे तान कहीं से यदि सुन पाते, तब क्या होता?


तुमने कब दी बात रात के सूने में तुम आने वाले,
पर ऐसे ही वक्त प्राण मन, मेरे हो उठते मतवाले,
साँसें घूमघूम फिरफिर से, असमंजस के क्षण गिनती हैं,
मिलने की घड़ियाँ तुम निश्चित, यदि कर जाते तब क्या होता?


उत्सुकता की अकुलाहट में, मैंने पलक पाँवड़े डाले,
अम्बर तो मशहूर कि सब दिन, रहता अपने होश सम्हाले,
तारों की महफिल ने अपनी आँख बिछा दी किस आशा से,
मेरे मौन कुटी को आते तुम दिख जाते तब क्या होता?


बैठ कल्पना करता हूँ, पगचाप तुम्हारी मग से आती,
रगरग में चेतनता घुलकर, आँसू के कणसी झर जाती,
नमक डलीसा गल अपनापन, सागर में घुलमिलसा जाता,
अपनी बाँहों में भरकर प्रिय, कण्ठ लगाते तब क्या होता?

Thursday, November 10, 2011

Ghazal by Bhupender & Mittali!!!!

राहों पे नज़र रखना, होटो पे दुआ रखना,

आ जाए कोई शायद,दरवाज़ा खुला रखना,


एहसास की शमा को, इस तरह जला रखना,
अपनी भी खबर रखना,उस का भी पता रखना,
रातों को भटकने की,देता है सज़ा मुझ को,
दुश्वार हे पहलू मे, दिल तेरे बिना रखना,

लोगों की निगाहों को,परख लेने की आदत है,
हालात की तहरीरे, चेहरे से बचा रखना,
गम उस की अमानत है,पलकों पे सज़ा रखना,
आ जाए कोई शायद,दरवाज़ा खुला रखना


तन्हाई के मौसम मैं, सायो की हुक़ूमत है,
यादो के उजालो को सीने से लगा रखना,
इस तरह खुशी अब से दिल की सदा रखना
वो भी ना बुरा माने, दिल का भी कहा रखना!!!
आ जाए कोई शायद,दरवाज़ा खुला रखना!!!


Ghazal by Bhupender & Mittali!!!!

Friday, October 7, 2011

तेरे चले जाने के बाद!!

टीसता है ज़ख़्म अक्सर खून रुक जाने के बाद,

कितने घायल हो गये लोग मुस्कुराने के बाद!!
 
ज़िंदगी उनको कहाँ मुश्किल लगी थी इस कदर,
जो परेशान हो गये इंसान कहलाने के बाद,

यू तो पहले भी सभी नादान कहते थे हमको,
और ज़्यादा हो गये कुछ तेरे समझने के बाद.

बस इसी डर से नही तय कर सके हम फ़ासले,
बढ़ ना जाए दूरियाँ, ज़्यादा करीब आने के बाद,

आई है बेनसिबिया मुझमे कुछ इस तरह,
तूफान मैं है किश्ती मेरी साहिल से दूर जाने के बाद.

मंज़िल तक साथ जाए वो हम-राह नही है अब,
गिरने से पहले कौन थामेगा, तेरे चले जाने के बाद.

बन कर रह-नुमा दे गयी दगा,
बन कर वीरना रह गया मैं,तेरे चले जाने के बाद.
उजाले तेरी यादो के हमारे पास है लेकिन,
लगता नही दिल गुलशन मैं, तेरे चले जाने के बाद!!!

Monday, September 5, 2011

आरज़ू

अपनी आँखो मे मोहबत के चिराग जलाए रखना,
गम के काँटों मे उमीद के गुल सजाए रखना,

गुजर जाएगा ये वक़्त भी, दिल मैं,
होसला और सब्र बनाए रखना,

मेरा वजूद तुझ से जुदा है कहाँ,
जब भी पाना चाहो मुझे, आईना रु-ब-रु रखना,

ज़िंदा रहना भी एक इबादत है,
ज़िंदा रहने की आरज़ू रखना!!!




Monday, March 28, 2011

F.R.I.E.N.D.S

खुशी भी दोस्तो से है, गम भी दोस्तो से है,
तकरार भी दोस्तो से है, प्यार भी दोस्तो से है,

रुठना भी दोस्तो से है, मनाना भी दोस्तो से है,
बात भी दोस्तो से है, मिसाल भी दोस्तो से है,

नशा भी दोस्तो से है, शाम भी दोस्तो से है,

जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है, जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,
मौहब्बत भी दोस्तो से है, इनायत भी दोस्तो से है,
काम भी दोस्तो से है, नाम भी दोस्तो से है, ख्याल भी दोस्तो से है,

अरमान भी दोस्तो से है, ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है, यादे भी दोस्तो से है,

मुलाकाते भी दोस्तो से है, सपने भी दोस्तो से है,
 अपने भी दोस्तो से है, या यूं कहो यारो, अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है.