Friday, October 9, 2009

प्रेम का दीप

प्यार का एक गीत सुना दो ना,
सोए हुए अरमानो को फिर से जगा दो ना,
तन्हाइयो के अंधेरो मैं भटकते है हम आज,
चुपके से अपने प्रेम का दीप जला दो ना!!

हम क्यों रूठे, क्यों रोए, हमे तुम पर फक्र है,
आज फिर से अपनी हसी अदा दिखा दो ना,
जब दूर होते तो उदासियाँ घेर लेती हैं हमे,
जहाँ भी रहा करो हिचकी से अपनी याद दिला दो ना!!

प्यासे हैं होठ, तपता है बदन,
आज मोहबत्त की मेय से हर प्यास बुझा दो ना,
जहाँ की बेवाफियों को देखकर जलता है दिल,
तुम अपनी अटूट वफ़ा दिखा दो ना!!!

मेरे प्यार का नशा अभी पूरा नही है,
ए सनम प्रेम की मदिरा थोड़ी और पिला दो ना
नादान हू अनजान हू, दुनियादारी से मैं,
हमे प्यार से हर बात सीखा दो ना!!

ना रूठना ना जुदा करना अपने से कभी,
अपने प्यार की डोर से मुझे बाँध कर दिखा दो ना!!
ऐसी कौन सी बात हैं, जो तुम इतने अच्छे हो,
आज विस्तार से हमे बता दो ना!!!!!

Dedicated to my to someone whom I love a lot!!!!