Friday, July 17, 2009

फिर ताज नही....(By Ujjwal ji)

मैने यह रचना श्री उज्ज्वल जी के ब्लॉग मैं पढ़ी थी....मुझे काफ़ी पसंद आई कुछ मुखड़ा यहाँ लिख रहा हू.

क्यो कहते हो मेरे लिए "ताजमहल" बनवाओगे !
क्या जीते-जी, तुम मुझे दफ़नाओगे ?
मैने सब कुछ खोया है सिर्फ़ तुम्हे पाने के लिए,
ना की मिट्टी मैं दफ़न हो "ताजमहल" कहलाने की लिए!!!!


पुरी रचना का आनंद लेने की लिए, आप जा सकते है :- फिर ताज नही......


Regards,
Rajender Chauhan
http://rajenderblog.blogspot.com

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