हम यू जीते है, जीना भी खता हो जैसे,
ज़िंदगी सिर्फ़ गुनाहो की सज़ा हो जैसे!
मेरी खुशियाँ छीन कर हवा ले गयी मस्तानी,
जीवन की इस्थीर मंज़िल पर सिर्फ़ उदासी छोड़ गयी है!!
चाहा था फूलो का सौरभ पर काटो ने उलझाया है,
कलियाँ मेरे उपवन का रिश्ता पतझड़ से जोड़ गयी है!!
तेरी यादो से जो दूर रहू क्या बचेगा मेरे जीवन मैं,
मेरी हर साँस तुझ से जिंदा है, वरना क्या है मेरी धड़कन मैं!!!!
Regards,
Rajender Chauhan
http://rajenderblog.blogspot.com
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