ये सफ़र ज़िंदगी का यू तय कर लिया जाए,
उठाकर कोई खत पुराना पढ़ लिया जाए!!
यू तो उम्र भर मुस्कुराते रहे हम,
दरिया अश्को का आँखो मैं भर लिया!!
याद मुझे हर वक़्त तेरी ही आई,
जब कभी मैं उधर निगाह उठाई!!
ख़ौफ़ मुझे मौत का ज़रा सा भी नही,
ज़िंदगी मैं ये "राज" कई दफ़ा मर लिया!!!!
Regards,
राजेंद्र चौहान
http://rajenderblog.blogspot.com
Saturday, May 1, 2010
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जिन्दगी ए जिन्दगी
ReplyDeleteतेरा कोई अतवार नहीं
हर कोई तेरा दम भरता है
मोत से किसी को प्यार नहीं
तुमसे हाथ छुडवा कर
कोई जाये तो कहाँ जाये
तुमे एक बार खो कर
कोई पाए तो कैसे पाए
तुमे बनाने मे कभी कभी
ये उम्र भी पड़ जाती है छोटी
तेरे आकार मे कोई ढले तो कैसे
बड़ी कठिन है तेरी कसोटी
फिर भी सभी को जरुरत है तेरी
क्योकि तेरे बिना ये संसार नहीं
जिन्दगी ए जिन्दगी
तेरा कोई अतवार नहीं....