Wednesday, August 5, 2009

दास्ताने -ए-दिल - II

दुनिया बनाने वाले ने काश एक दिल ना बनाया होता!!!!!!!!

दिल पे गम के तीर चले, आँखो से दरिया बहने लगा
मैने रोका दिल को लेकिन रो-रो कर ये कहने लगा,
काश दुनिया बनाने वाले ने एक दिल ना बनाया होता!!!!!!!!

किसी की माँ का दिल, जल के कलेजा ना रोता
औलाद के गम के कोई बाप भी पागल ना होता,
कोई तड़प - तड़प के ना मरता, कोई छुप -छुप के ना रोता.
शमा बेचारी क्यों रोती, परवाना जान को क्यों खोता,
बुलबुल भी आहें ना भरती फूल भी गम से ना रोता!

दुनिया बनाने वाले ने काश एक दिल ना बनाया होता!!!!!!!!


Rgds,
Raj Chauhan
http;//rajenderblog.blogspot.com

1 comment:

  1. Bhaiya,

    Dunia banane wale ne agar dil na banaya hota,
    To hame pyar kahan se hota.

    Regards
    Navrang
    http://navrangblog.blogspot.com

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