Tuesday, December 1, 2009

बेवफ़ा -II

याद तेरी आई मैं, रोते-रोते सो गया|
आने का वादा किया था, वादे का क्या हो गया|

हमने सोचा था कि अब तो मंज़िल हमारी आ गयी|
जब आँख खुली तो देखा, रास्ता भी खो गया|

अब गिला किसका करे, जब हो गयी हमसे खता|
जो हमारा ना हुआ क्यों, दिल उसी का हो गया|

और क्या बताउ, हाल कल की रात का|
हो गयी थी सुर्ख आँखे, तकिया गीला हो गया||||||

Rgds,
Rajender Chauhan
http://rajenderblog.blogspot.com

No comments:

Post a Comment