याद तेरी आई मैं, रोते-रोते सो गया|
आने का वादा किया था, वादे का क्या हो गया|
हमने सोचा था कि अब तो मंज़िल हमारी आ गयी|
जब आँख खुली तो देखा, रास्ता भी खो गया|
अब गिला किसका करे, जब हो गयी हमसे खता|
जो हमारा ना हुआ क्यों, दिल उसी का हो गया|
और क्या बताउ, हाल कल की रात का|
हो गयी थी सुर्ख आँखे, तकिया गीला हो गया||||||
Rgds,
Rajender Chauhan
http://rajenderblog.blogspot.com
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